<div id="yui_3_9_1_18_1410638658441_64" style="line-height: 20.7999992370605px;">
<p><strong>मूल नाम</strong><strong> :</strong> अबु ज़फ़र सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह ज़फ़र </p>
<p><strong>उपनाम :</strong> बहादुर शाह ज़फ़र</p>
<p><strong>जन्म</strong><strong> :</strong> 24 अक्टूबर 1775</p>
<p><strong>देहावसान :</strong> 7 नवंबर 1862</p>
<p><strong>भाषा</strong><strong> :</strong> उर्दू</p>
<strong>विधाएँ :</strong> ग़ज़ल<br />
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<div id="yui_3_9_1_18_1410638658441_62" style="line-height: 20.7999992370605px;"> </div>
<div id="yui_3_9_1_18_1410638658441_160" style="line-height: 20.7999992370605px;">
<div id="yui_3_9_1_18_1410638658441_57">बहादुर शाह ज़फ़र मुग़ल साम्राज्य के अंतिम सम्राट थे, और साथ ही ये उर्दू के एक मशहूर शायर भी रहे हैं, इनकी लिखी अधिकतर रचनायें अभी उपलब्ध नहीं हैं और ये माना जाता है की वो अंग्रेज़ों के साथ विद्रोह के समय या तो नष्ट हो गयीं अथवा इधर उधर खो गयीं, लेकिन फिर भी इनकी कुछ रचनायें अभी भी प्रसिद्ध हैं। भारतियों को अंग्रेज़ों के खिलाफ एक-जूट करने के लिये लिखी गयी ये पंक्तियाँ अभी भी मशहूर हैं: </div>
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<div id="yui_3_9_1_18_1410638658441_57" style="margin-left: 80px;">"हिंदिओं में बू रहेगी जब तलक ईमान की।</div>
<p style="margin-left:80px">तख्त ए लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की।।"</p>
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