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गजल

4.6
988

डाल पर बैठे परिंदे भी समझते हैं, पेड़ के एहसास पत्ते भी समझते हैं. एक दीपक तोड़ देगा उनका सारा दम्भ, इस सचाई को अँधेरे भी समझते है. मुस्करा देते हैं कोई ज़िद नहीं करते, मेरे दिल का दर्द बच्चे भी ...

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लेखक के बारे में
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अशोक रावत
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anju gouri shri "Anju shri"
    02 मार्च 2021
    दिल को छू लेने वाली कविता है
  • author
    Sweta Pant "Seemu"
    28 अगस्त 2022
    बहुत सुंदर पंक्तियां कृपया मेरी रचनाओं को पढ़कर अपनी राय प्रदान कीजिएगा
  • author
    Raj Bhalla
    04 अप्रैल 2019
    "बात ये बेजान बस्ते भी समझते हैं।" बहुत समसामयिक उद्धरण है।
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    Anju gouri shri "Anju shri"
    02 मार्च 2021
    दिल को छू लेने वाली कविता है
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    Sweta Pant "Seemu"
    28 अगस्त 2022
    बहुत सुंदर पंक्तियां कृपया मेरी रचनाओं को पढ़कर अपनी राय प्रदान कीजिएगा
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    Raj Bhalla
    04 अप्रैल 2019
    "बात ये बेजान बस्ते भी समझते हैं।" बहुत समसामयिक उद्धरण है।