उन दिनों गर्मी की छुट्टियों में बड़ा बुरा हाल रहता था। माँ घर में 1:30 बजे से 4:30 बजे तक जनता कर्फ्यू लगवा देतीं थीं। तब हम अपने पुराने वाले घर में रहा करते थे। घर के चौखट पर बैठे हुए दुपहरें ...
मै ना ही कोई लेखक हूं और ना ही कोई कवि । मात्र लाकडाऊन के चलते खाली समय का सदुपयोग करते हुए कुछ सच घटनाए लिख रहे है । भाषाई त्रुटियो और प्रवाह तथा शैली की कसौटी पर ना कसते हुए ही देखिए ।
सारांश
मै ना ही कोई लेखक हूं और ना ही कोई कवि । मात्र लाकडाऊन के चलते खाली समय का सदुपयोग करते हुए कुछ सच घटनाए लिख रहे है । भाषाई त्रुटियो और प्रवाह तथा शैली की कसौटी पर ना कसते हुए ही देखिए ।
रिपोर्ट की समस्या
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