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गर्मियों की छुट्टियां और गांव के दिन

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उन दिनों गर्मी की छुट्टियों में बड़ा बुरा हाल रहता था। माँ घर में 1:30 बजे से 4:30 बजे तक जनता कर्फ्यू लगवा देतीं थीं। तब हम अपने पुराने वाले घर में रहा करते थे। घर के चौखट पर बैठे हुए दुपहरें ...

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लेखक के बारे में
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krishnakant shukla

मै ना ही कोई लेखक हूं और ना ही कोई कवि । मात्र लाकडाऊन के चलते खाली समय का सदुपयोग करते हुए कुछ सच घटनाए लिख रहे है । भाषाई त्रुटियो और प्रवाह तथा शैली की कसौटी पर ना कसते हुए ही देखिए ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Gireesh Pandey
    04 जनवरी 2023
    good
  • author
    aadi shukla
    02 जनवरी 2023
    r
  • author
    Vinita Shukla
    27 दिसम्बर 2022
    good
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  • author
    Gireesh Pandey
    04 जनवरी 2023
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    aadi shukla
    02 जनवरी 2023
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    Vinita Shukla
    27 दिसम्बर 2022
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