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हिन्दी

गरीब की हाय

4.5
20618

मुंशी रामसेवक भौंहे चढ़ाए हुए घर से निकले और बोले- 'इस जीने से तो मरना भला है।' मृत्यु को प्रायः इस तरह के जितने निमंत्रण दिये जाते हैं, यदि वह सबको स्वीकार करती, तो आज सारा संसार उजाड़ दिखाई देता। ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Surendra Sahu
    14 ജൂലൈ 2019
    हाय जो अंदर से निकलती हैं कभी किसी को नहीं छोड़ती।
  • author
    Nutan Mishra
    18 മെയ്‌ 2020
    सही बात है किसी भी व्यक्ति कि हाय सर्वनाश का कारण बनती है। मन को झकझोने वाली कहानी।
  • author
    afzal khan
    02 മാര്‍ച്ച് 2018
    hay wo cheez h jo patthar k do tukde kar de
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    Surendra Sahu
    14 ജൂലൈ 2019
    हाय जो अंदर से निकलती हैं कभी किसी को नहीं छोड़ती।
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    Nutan Mishra
    18 മെയ്‌ 2020
    सही बात है किसी भी व्यक्ति कि हाय सर्वनाश का कारण बनती है। मन को झकझोने वाली कहानी।
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    afzal khan
    02 മാര്‍ച്ച് 2018
    hay wo cheez h jo patthar k do tukde kar de