pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

गरम रोटी

4.2
20073

रामाजी का बुडापा बड़ी तकलीफ में गुजर रहा था ! तीन तीन बेटो के होते हुए दो टाइम का खाना भी बराबर नहीं मिल रहा था ! अपने पुराने झोपड़े में टूटी खाट पर बेठे रामाजी बारह बजे तक रोटी का रास्ता देखते ,तब ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
महेश शर्मा

जन्म दिनांक –०१-१२-१९५४ निवास – २२४ सिल्वर हिल कालोनी धार जिला धार मध्य प्रदेश पिन - शिक्षा –विज्ञानं स्नातक रूचि – लेखन पठन पाठन गायन पर्यटन लेखन विधा – कहानी , कविता , गीत , ग़ज़ल एवं लघु कथा लगभग 40 लघुकथा लिखी गइ हें प्रकाशन – साहित्य अमृत , संबोधन , साहित्य गुंजन . ककसाड . परिंदे ,वीणा , शब्द प्रवाह , कथाबिम्ब , अभिनव प्रयास ,मधुमती , साक्षात्कार ,अनंतिम राजस्थान पत्रिका , वागर्थ , इन्द्रप्रस्थ भारती एवं अन्य कई पत्र पत्रिकओं में पिछले दो वर्षो में ५० से अधिक रचनाऐ प्रकाशीत एक गीत संग्रह ,, में गीत किसी बंजारे का ,, उन्वान प्रकाशन से शीघ्र प्रकाश्य . एक कहानी संग्रह भी प्रकाशन हेतु तैयार सम्मान --- राजस्थान की पत्रिका साहित्य समर्था से श्रेष्ठ कहानी पुरस्कार मध्य प्रदेश संस्क्रती विभाग से साहित्य पुरस्कार बनारस से ,, सोच विचार ,, पत्रिका से ग्राम्य कहानी प्रतियोगिता अंतर्गत पुरस्कृत श्री गोविन्द हिंदी सेवा समिति मुरादाबाद से अंतरास्ट्रीयसाहित्य सम्मान समारोह में ,, हिंदी भाषा रत्न से सम्मानित

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Santosh Kumari
    03 अगस्त 2021
    Sare ristey naatey matlabe ke ho gaye hai. Real story. Good Job.
  • author
    Nitya vishwakarma
    27 जून 2021
    बहुत ही सुंदर और सत्यपरक घटना है लोग आज कल हर रिश्ता मतलब से निभाते हैं।
  • author
    सिद्धार्थ सिंह
    10 अप्रैल 2020
    सुंदर रचना।अगर सभी बुजुर्ग ऐसे ही सोचे तो शायद वृद्धाश्रमों की संख्या कम हो जाय
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Santosh Kumari
    03 अगस्त 2021
    Sare ristey naatey matlabe ke ho gaye hai. Real story. Good Job.
  • author
    Nitya vishwakarma
    27 जून 2021
    बहुत ही सुंदर और सत्यपरक घटना है लोग आज कल हर रिश्ता मतलब से निभाते हैं।
  • author
    सिद्धार्थ सिंह
    10 अप्रैल 2020
    सुंदर रचना।अगर सभी बुजुर्ग ऐसे ही सोचे तो शायद वृद्धाश्रमों की संख्या कम हो जाय