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गंगा तट

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सुन्दर  सा तट गंगा का , रहता स्थिर और शांत  |                                        अल सुबह आता सूरज ,  शाम होते निकलता चाँद  |                                   बिंबों  और प्रति बिंबों  से होती ...

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लेखक के बारे में
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Suvercha Chaturvedi

मैं सुवर्चा चतुर्वेदी एक अध्यापिका हूॅं, हिंदी विषय मेरा प्रिय विषय है, कविता, कहानी , उपन्यास और निबंध लिखना ,मेरा शौक ही नहीं है अपितु एक अवसर है स्वयं के पल्लवन का |मैं अपनी मौलिक रचनाओं को ही प्रकाशित करती हूॅं, मेरी रचनाऍं सिर्फ मेरी काल्पनिकता का रूपांतरण हैं|मेरे लेखन कार्य से संबंधित सभी अधिकार सुरक्षित हैं|©,®

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Neena Chaturvedi
    06 जून 2021
    कविता के वर्णन में ऐसा महसूस होता है जैसे हरिद्वार,गंगोत्री में शाम को उसके तट पर बैठे है,हम जब घूमने गये थे वो यादें ताजा हो गयी ,ऐसा ही प्रतीत होता है तट के किनारे
  • author
    aryan Chaturvedi
    16 जून 2021
    प्राकृतिक सुन्दरता की बेहतरीन व्याख्या।
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    Neena Chaturvedi
    06 जून 2021
    कविता के वर्णन में ऐसा महसूस होता है जैसे हरिद्वार,गंगोत्री में शाम को उसके तट पर बैठे है,हम जब घूमने गये थे वो यादें ताजा हो गयी ,ऐसा ही प्रतीत होता है तट के किनारे
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    aryan Chaturvedi
    16 जून 2021
    प्राकृतिक सुन्दरता की बेहतरीन व्याख्या।