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हिन्दी

ग़ैरत की कटार

4.3
51968

कितनी अफ़सोसनाक, कितनी दर्दभरी बात है कि वही औरत जो कभी हमारे पहलू में बसती थी उसी के पहलू में चुभने के लिए हमारा तेज खंजर बेचैन हो रहा है। जिसकी आंखें हमारे लिए अमृत के छलकते हुए प्याले थीं वही ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • author
    Riyaz Ahmed Shaikh
    28 मार्च 2020
    अति उत्तम ! स्वर्गीय मुनशी प्रेमचंद जी हिन्दी तथा उर्दू भाषा के साझे साहित्यकार थे जि उनके साहित्य मे वास्तविकता के साथ सामाजिक उत्पीड़न, मानसिक शोषण एवं पात्रो के किरदार का योग्य उपयोग बहूत मार्मिक शैली मे परोसा जाता है । एकतरफा निर्णय कितना घातक होता है यह इस कहानी का सार है !!!!
  • author
    Sudha Ramavat
    21 अगस्त 2020
    प्रेमचंद जी की कहाँ पर टिप्पणी करने की योग्यता शायद मुझमें नहीं है।
  • author
    Sunil Gour
    20 अगस्त 2020
    स्त्री का तीरिया जरित्र आजतक ईश्वर नहीं समझ सका इन्सान तो बड़ी दुर की बात है
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    Riyaz Ahmed Shaikh
    28 मार्च 2020
    अति उत्तम ! स्वर्गीय मुनशी प्रेमचंद जी हिन्दी तथा उर्दू भाषा के साझे साहित्यकार थे जि उनके साहित्य मे वास्तविकता के साथ सामाजिक उत्पीड़न, मानसिक शोषण एवं पात्रो के किरदार का योग्य उपयोग बहूत मार्मिक शैली मे परोसा जाता है । एकतरफा निर्णय कितना घातक होता है यह इस कहानी का सार है !!!!
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    Sudha Ramavat
    21 अगस्त 2020
    प्रेमचंद जी की कहाँ पर टिप्पणी करने की योग्यता शायद मुझमें नहीं है।
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    Sunil Gour
    20 अगस्त 2020
    स्त्री का तीरिया जरित्र आजतक ईश्वर नहीं समझ सका इन्सान तो बड़ी दुर की बात है