"फुरसत के पल " फुरसत है ही कहां किसी के पास..... फुरसत के पल बनाने के लिए.... सब व्यस्त है अपने झूठे भ्रम में...... किसी को ऑफिस जाने की जल्दी है..... तो कोई टिफिन बनाने में व्यस्त...... किसी को ...
सही कहा। अब फुर्सत को फोन खा जाताहै।जो बचता है वो दिनचर्या में गुजर जाता है।
नींद भी कहाँ ले पाते हैँ लोग। जब भी नींद आऐ नोटिफिकेशन आ जाता है ।
बहुत अच्छा लिखा है आपने लाडो।
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सुपरफैन
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सही कहा। अब फुर्सत को फोन खा जाताहै।जो बचता है वो दिनचर्या में गुजर जाता है।
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