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फूल और कांटे (कविता)

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फूल और कांटे(कविता) *********** झोली के सब फूल छीन लो तुम, पर ये कांटे मत लेना तुम। कांटे ले लोगी तो बोलो,, पथ का साथी कौन बनेगा? जो चुभन को सहलाए, जो दर्द को समझेगा। फूलों की सुंदरता को तुम ले ...

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लेखक के बारे में
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Samir Sharma

हम इंसान है, और इंसानों से ही गलती होती हैं। हमें किसी भी व्यक्ति को जज नहीं करना चाहिए। हमें यह अधिकार नहीं है। कभी कभी किसी की मज़बूरी,विवशता,परिस्थिति जनक कार्य को ठीक से नहीं समझने से उसके संबंध में भ्रम,गलतफहमी हो सकती हैं। सर्वगुसंपन्न की तलाश करना व्यर्थ है। गुण अवगुण सभी में होते हैं। किसी की अधिकता ही उसे अच्छे या बुरे बनाते है। सुंदरता सभी फूलों में होती हैं,पर सभी फूल देवताओं पर नहीं चढ़ाएं जाते हैं। सभी के अरमान जरूरी नहीं पूरे हो,जीने के लिए जख्म और मौत के बाद कफन जरूरी होता है।

समीक्षा
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  • author
    Puspa Pathak
    06 मई 2025
    बहुत सुंदर रचना फूल और कांटे सचमुच फूल और कांटे का ही साथ है।। यह जीवन भी ऐसा ही है।।
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    Puspa Pathak
    06 मई 2025
    बहुत सुंदर रचना फूल और कांटे सचमुच फूल और कांटे का ही साथ है।। यह जीवन भी ऐसा ही है।।