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फूफा पलागो !

1837
4.3

किसी समय में ठगौना गाँव ठगी के लिए नामाजादी रहा है। ठगौना के जवान-अधेड़ तो क्या, औरतें-बच्चे, यहां तक कि बूढ़े भी अपनी जबान में न जाने कौन-सी मिश्री घोल कर रखते थे कि दो शब्द सुनने के बाद मजाल है कि ...