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फूफा पलागो !

4.3
1835

किसी समय में ठगौना गाँव ठगी के लिए नामाजादी रहा है। ठगौना के जवान-अधेड़ तो क्या, औरतें-बच्चे, यहां तक कि बूढ़े भी अपनी जबान में न जाने कौन-सी मिश्री घोल कर रखते थे कि दो शब्द सुनने के बाद मजाल है कि ...

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लेखक के बारे में

मुझे अमृता चाहिए' 'शत्रुगंध' 'हस्ताक्षर', 'केशवलीला रामरंगीला' 'चौथी सिगरेट" आदि मौलिक हिंदी नाटकों का लेखन। तीन नाटकों पर मोहन राकेश सम्मान प्राप्त। दो नाटक आकाशवाणी द्वारा पुरस्कृत।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Actor Shubham Pandey SP
    31 मार्च 2020
    आपके द्वारा लिखी ये कहानी वाकई बहुत अच्छी लगी 🙏 आगे और भी कहानियों की प्रतीक्षा रहेगी
  • author
    Krishna Kumari
    22 सितम्बर 2021
    वाह ! बहुत सुन्दर हास्य व्यंग्य कथानक👌👌
  • author
    04 दिसम्बर 2018
    nice आपकी आने वाली कहानियों के इंतजार में
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    Actor Shubham Pandey SP
    31 मार्च 2020
    आपके द्वारा लिखी ये कहानी वाकई बहुत अच्छी लगी 🙏 आगे और भी कहानियों की प्रतीक्षा रहेगी
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    Krishna Kumari
    22 सितम्बर 2021
    वाह ! बहुत सुन्दर हास्य व्यंग्य कथानक👌👌
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    04 दिसम्बर 2018
    nice आपकी आने वाली कहानियों के इंतजार में