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फिक्स्ड मैच

4.3
809

एक दिन मैं अपने पोत्र पलाश को कछुए और खरगोश के बीच की दौड़ की बोधकथा सुना रहा था किस प्रकार खूब तेज दौड़ने वाला खरगोश अपने घमण्ड और प्रमाद के कारण कछुए को कुछ न समझते हुए आधे रास्ते में घास चरने लगता ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    aniketmadhusudan patel "Patel"
    24 अगस्त 2021
    बहुत खूब
  • author
    Vinny sharma
    21 अप्रैल 2021
    nice👍👍💐💐
  • author
    योगेश धनन "योगी"
    11 मार्च 2019
    सही लिखा
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    aniketmadhusudan patel "Patel"
    24 अगस्त 2021
    बहुत खूब
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    Vinny sharma
    21 अप्रैल 2021
    nice👍👍💐💐
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    योगेश धनन "योगी"
    11 मार्च 2019
    सही लिखा