फिर से... महिमा के हाथ जैसे चल ही नहीं रहे थे I किचन में जाती लेकिन फिर थोड़ी देर में बाहर आ जाती I घड़ी की सुइयाँ अपनी रफ़्तार दिखा रही थी लेकिन महिमा के काम में तेज़ी नही आ रही थी I उसने एक बार ...
सरल, सौम्य, ज़िन्दगी के करीब, प्रकृति को ईश्वर का स्थान दिया है इसलिए प्रकृति से बहुत प्रेम है इसलिए प्रकृति की हर रचना से प्रेम है फिर वो चाहे सजीव हो या निर्जीव।
जिंदगी का हर पल जीती हूँ और कुछ न कुछ सीखती हूँ I जिंदगी से बढ़कर कोई शिक्षक नहीं और सबसे बड़ी बात ये शिक्षक हमें पूरी आज़ादी देता है I
सारांश
सरल, सौम्य, ज़िन्दगी के करीब, प्रकृति को ईश्वर का स्थान दिया है इसलिए प्रकृति से बहुत प्रेम है इसलिए प्रकृति की हर रचना से प्रेम है फिर वो चाहे सजीव हो या निर्जीव।
जिंदगी का हर पल जीती हूँ और कुछ न कुछ सीखती हूँ I जिंदगी से बढ़कर कोई शिक्षक नहीं और सबसे बड़ी बात ये शिक्षक हमें पूरी आज़ादी देता है I
एक लड़की, महिला का मन कितना सहज, सरल और सुन्दर होता है, यह आपने बेहद ही खूबसूरती से दर्शाया अपनी कहानी से..!
बहुत बहुत बधाई, हार्दिक शुभकामनाएं...
"प्यार का एहसास" जरूर पढ़िएगा, प्रतिक्रिया के इन्तजार में...
हेमन्त मोढ़।
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