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फिर से आ गए तुम....!

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फिर से आ गए तुम मेरे दिल को तूने छलनी कर दिया अब मेरा तमाशा बनाने आए हो, हो जाने दो बर्बाद मुझे फिर से कोई नई चाल चलने आए हो। फिर से आ गए तुम। दूर हो जाओ मेरे नजरों से हो जाने दो मुझे आजाद, झूठा ...

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लेखक के बारे में
author
Diwakar Kumar

इंसानियत हैसियत से बढ़कर होती है, हम चाहे जितने भी बड़े हो जाएं पर अपनी इंसानियत को कभी ना भूले।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aditi Tandon
    08 मार्च 2021
    बहुत अच्छा लिखा है आपने 👌👌💐💐
  • author
    Preeti Mishra
    18 फ़रवरी 2021
    वाह बहुत उम्दा अभिव्यक्ति
  • author
    Ragini Srivastava
    18 फ़रवरी 2021
    bahut khoob 👌👌👌👌👌
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  • author
    Aditi Tandon
    08 मार्च 2021
    बहुत अच्छा लिखा है आपने 👌👌💐💐
  • author
    Preeti Mishra
    18 फ़रवरी 2021
    वाह बहुत उम्दा अभिव्यक्ति
  • author
    Ragini Srivastava
    18 फ़रवरी 2021
    bahut khoob 👌👌👌👌👌