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फट पड़ा आसमान

3.8
1065

पहली तनख्वाह मिलते ही उसने चिर संचित अभिलाषा पूरी की। एक सफेद रंग की रेशमी साड़ी का गिफ्ट पैक बनवाकर स्टीकर सटवाया - प्यारी माई को। घर आकर वह गिफ्ट पैकेट और गुलदस्ता फूल माला से आच्छादित माई की ...

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लेखक के बारे में
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कृष्ण मनु

जन्म तिथि - 04 जून 1953 जन्म स्थान - गया बिहार शिक्षा - यांत्रिक अभियंत्रणा में डिप्लोमा भाषा ज्ञान - हिन्दी, अंग्रेजी प्रकाशित कतियां- 1. कोहरा छंटने के बाद (कहानी संग्रह) 2. पाचवां सत्यवादी (लघुकथा संग्रह) 3. प्रीति की वापसी (बा. क. संग्रह) 4. वीरू की वीरता वही 5. बीसवीं सदी का गदहा वही सम्मान/पुरस्कार - पांच साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित सम्पर्क वर्तमान/स्थायी - ‘शिव धाम’, कतरास रोड, बीहाइण्ड पोद्दार हार्डवेयर एण्ड आउटो स्टोर नियर, एम एस एम इ, मटकुरिया, धनबाद 826001 (झारखंड) मोबाइल नं. - 09939315925ं

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Deepak Kumar
    22 अक्टूबर 2018
    बहुत तकलीफ होता हैं ऐसी कहानी पढ़कर एक माँ एक बच्चो को कामयाब बनाने के लिए वो अपना सारा जीवन बर्बाद कर लेती हैं। और बच्चे भी यही सोचते है अगर हम कामयाब होगे तो हम उसकी हर जरूरते पुरी करुगा उसे खुश रहने के लिए हर सम्भव कोशिश करुगा ये बच्चो की मन मे रहता हैं। आखिरकार वो बच्चा कामयाब हो ही जाता हैं लेकिन अफसोस वो माँ अब दुनिया मे नही रही। एक मेरा चाह था कि अब हम.सफल हो गये है अब हम अपनी माँ को कोई काम नही करने दुँगी और हर एक सपना ऊनकी पुरा करुगा और मेरी चाह सिर्फ चाह तक ही रह जाती हैं.....क्या लिखूं उस.माँ के लिए मेरे पास ऐसी कोई शब्द ही नही हैं।
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    29 जून 2021
    Atyant hi hridysparshi kahaani .
  • author
    Prakash Soni
    05 जुलाई 2021
    nisavd
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  • author
    Deepak Kumar
    22 अक्टूबर 2018
    बहुत तकलीफ होता हैं ऐसी कहानी पढ़कर एक माँ एक बच्चो को कामयाब बनाने के लिए वो अपना सारा जीवन बर्बाद कर लेती हैं। और बच्चे भी यही सोचते है अगर हम कामयाब होगे तो हम उसकी हर जरूरते पुरी करुगा उसे खुश रहने के लिए हर सम्भव कोशिश करुगा ये बच्चो की मन मे रहता हैं। आखिरकार वो बच्चा कामयाब हो ही जाता हैं लेकिन अफसोस वो माँ अब दुनिया मे नही रही। एक मेरा चाह था कि अब हम.सफल हो गये है अब हम अपनी माँ को कोई काम नही करने दुँगी और हर एक सपना ऊनकी पुरा करुगा और मेरी चाह सिर्फ चाह तक ही रह जाती हैं.....क्या लिखूं उस.माँ के लिए मेरे पास ऐसी कोई शब्द ही नही हैं।
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    अरविन्द सिन्हा
    29 जून 2021
    Atyant hi hridysparshi kahaani .
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    Prakash Soni
    05 जुलाई 2021
    nisavd