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एक दूसरे को गुड लक विशेज़ देने के बाद दोनों छह महीने के उस प्लांड तथाकथित एकेडमिक सेपरेशन की ओर अपने-अपने रास्ते बढ़ चले। छह महीने तो दूर की बात, मानसी को छह दिन में ही छटपटाहट होने लगी। सातवें दिन ...

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कहानी Café

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समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

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  • author
    Rahul Jain
    30 ജനുവരി 2018
    मैं एक लेखक नहीं हूं तो समीक्षा लिखना तो सच में अतिशौक्ति होगी, हैं विचार जरूर लिखूंगा, कहानी अत्यंत ही अच्छी व बाँधे रखने वाली है, अन्य समीक्षायों में पढ़ा कि नायक की मृत्यु क्यों दर्शाई, इस बात का दुःख है, परंतु मुझे यह उत्तम अंत लगा इस बात का मतलब यह नहीं कि समस्या का हल निकालने की जगह उससे भाग जाने की वकालत करता हूँ, असल में यही मुझे इस कहानी का असल मतलब समझने वाला लगा। जो अन्त को गलत मानते है वो समझते है कि हर समस्या का समाधान है और उस पर मेहनत करनी पड़ेगी बस और जिस पल यह सोच आयी उसी पल उनका समस्या से जूझने का प्रण और मजबूत हुआ। और जो अंत को ठीक मानते है उन्हें इससे कहानी से प्रेरणा लेनी चाहिए। @निशांत : शायद मेरी समीक्षा बचकानी लगती होगी आपको :D रही 4 स्टार की बात तो एक स्टार सिर्फ इसलिए ही रख लिया है कि पूरी कहानी में लगा थी कि नायक की सालों की मेहनत व नायिका की उन सालों की तपस्या की मंजिल बागों की होगी शमशान की नहीं
  • author
    Shikha Swarnima
    01 ആഗസ്റ്റ്‌ 2018
    bahut bahut achi story h but please story ka end positive rakha Karen ..at least story me to pyar pura ho warna to real life me impossible hi hota h
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    Rahul Jain
    30 ജനുവരി 2018
    मैं एक लेखक नहीं हूं तो समीक्षा लिखना तो सच में अतिशौक्ति होगी, हैं विचार जरूर लिखूंगा, कहानी अत्यंत ही अच्छी व बाँधे रखने वाली है, अन्य समीक्षायों में पढ़ा कि नायक की मृत्यु क्यों दर्शाई, इस बात का दुःख है, परंतु मुझे यह उत्तम अंत लगा इस बात का मतलब यह नहीं कि समस्या का हल निकालने की जगह उससे भाग जाने की वकालत करता हूँ, असल में यही मुझे इस कहानी का असल मतलब समझने वाला लगा। जो अन्त को गलत मानते है वो समझते है कि हर समस्या का समाधान है और उस पर मेहनत करनी पड़ेगी बस और जिस पल यह सोच आयी उसी पल उनका समस्या से जूझने का प्रण और मजबूत हुआ। और जो अंत को ठीक मानते है उन्हें इससे कहानी से प्रेरणा लेनी चाहिए। @निशांत : शायद मेरी समीक्षा बचकानी लगती होगी आपको :D रही 4 स्टार की बात तो एक स्टार सिर्फ इसलिए ही रख लिया है कि पूरी कहानी में लगा थी कि नायक की सालों की मेहनत व नायिका की उन सालों की तपस्या की मंजिल बागों की होगी शमशान की नहीं
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    Shikha Swarnima
    01 ആഗസ്റ്റ്‌ 2018
    bahut bahut achi story h but please story ka end positive rakha Karen ..at least story me to pyar pura ho warna to real life me impossible hi hota h