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फालतू बात!

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** हाय गरीबी ** सिर पर थी तेज धूप और जल रहे थे पैर, ए सी में तय हुआ की गरीबी मिटाएंगे! जिसने गलीचों से बाहर रखा न पांव, उन सब ने तय किया है कि सड़कें बनाएंगे! मिट गया सब कुछ गरीबी ...

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लेखक के बारे में

राजेश पाण्डेय "घायल"

समीक्षा
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  • author
    अमर शर्मा
    15 दिसम्बर 2020
    वर्तमान की दशा यही है।
  • author
    श्री हरि
    15 दिसम्बर 2020
    वाह वाह । अद्भुत लेखन। गरीबी के बारे में मेरा मत है कि कुछ तो लोग स्वयं जिम्मेदार हैं । मुफ्त की सुविधाओं ने लोगों को निकम्मा बना दिया और "भिखारी" की श्रेणी में ला दिया। कुछ सरकारों की नीयत साफ नहीं थी । बाकी आप समझदार हैं । 😀😀😀
  • author
    आशा रानी शरण
    15 दिसम्बर 2020
    ओह! बहुत ही हृदय स्पर्शी शब्द और पंक्तियां लिखी हैं आपने बिल्कुल सत्य और सटीक लिखा है उनके पसीने की मेहनत की कमाई तो कम से कम मिल जाए बाकी तो अपना घरौंदा खुद बना लेंगे धन्यवाद नमस्कार राजेश जी बहुत बढ़िया लिखा आपने।
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    अमर शर्मा
    15 दिसम्बर 2020
    वर्तमान की दशा यही है।
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    श्री हरि
    15 दिसम्बर 2020
    वाह वाह । अद्भुत लेखन। गरीबी के बारे में मेरा मत है कि कुछ तो लोग स्वयं जिम्मेदार हैं । मुफ्त की सुविधाओं ने लोगों को निकम्मा बना दिया और "भिखारी" की श्रेणी में ला दिया। कुछ सरकारों की नीयत साफ नहीं थी । बाकी आप समझदार हैं । 😀😀😀
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    आशा रानी शरण
    15 दिसम्बर 2020
    ओह! बहुत ही हृदय स्पर्शी शब्द और पंक्तियां लिखी हैं आपने बिल्कुल सत्य और सटीक लिखा है उनके पसीने की मेहनत की कमाई तो कम से कम मिल जाए बाकी तो अपना घरौंदा खुद बना लेंगे धन्यवाद नमस्कार राजेश जी बहुत बढ़िया लिखा आपने।