इंतेज़ार करते रहे, एक मुदद्त से वक्त पर देखते रहे, शिदद्त से, फिर चल पड़े, बात दिल की कहने का हौसला किया ख़ौफ-ए-नमंज़ुरी के चलते, यह मजमून छोड़ने का फैसला किया -आर. वी. ...
राहुल वर्मा
29/Feb/1996
हिन्दी साहित्य से अत: लगाव|
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