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फ़ैसला

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अमर बाबू के मोहल्ले में साम्प्रदायिक दंगा हुआ था। कितने घर लुटे और कितनी बहू-बेटियों की इज़्ज़त ख़ाक हुई— कोई हिसाब न था। पाँच व्यक्तियों की जान लेकर और दस को अपंग बनाकर उन्माद शान्त हुआ था। अमर बाबू के पुश्तैनी मकान के अगल-बगल के मकानों को छोड़कर पूरी गली में सभी घर मुसलमानों के थे। दस-बारह मकान छोड शुक्लाजी का मकान था। सामने वाली गली में भी सभी मुसलमान थे। पीछे वाली गली में हिन्दुओं के मकान अधिक थे। वहीं अधिक नुक़सान हुआ था। अमर बाबू का कोई नुक़सान न हुआ था, लेकिन जबसे उन्हें पता चला कि ...

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समीक्षा
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  • author
    Ritu Kaushal
    27 अगस्त 2021
    अपेक्षा क्या करें आपसे, कैराना, मेरठ में को आतंक हुआ है आप जैसे महान विचारकों का आशीर्वाद है। 1992 के दंगे में मेरे पड़ोसी भी इसी विश्वास से गए थे कि कोई "मुख्तार मियां" कुछ नही करेगा लेकिन फिर उनकी लाश एक बोरे में कई टुकड़ों में विभक्त मिली। और संकड़ो बलात्कार और लव जेहाद तो हद से पार।
  • author
    12 अगस्त 2017
    कभी कभी सोच और सच में बहुत फर्क होता है... काश लोग समझें.….....
  • author
    NIIT NAJIBABAD
    19 जुलाई 2020
    अब इन कहानियों के पात्र बदलने का समय आ गया है
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    Ritu Kaushal
    27 अगस्त 2021
    अपेक्षा क्या करें आपसे, कैराना, मेरठ में को आतंक हुआ है आप जैसे महान विचारकों का आशीर्वाद है। 1992 के दंगे में मेरे पड़ोसी भी इसी विश्वास से गए थे कि कोई "मुख्तार मियां" कुछ नही करेगा लेकिन फिर उनकी लाश एक बोरे में कई टुकड़ों में विभक्त मिली। और संकड़ो बलात्कार और लव जेहाद तो हद से पार।
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    12 अगस्त 2017
    कभी कभी सोच और सच में बहुत फर्क होता है... काश लोग समझें.….....
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    NIIT NAJIBABAD
    19 जुलाई 2020
    अब इन कहानियों के पात्र बदलने का समय आ गया है