अमर बाबू के मोहल्ले में साम्प्रदायिक दंगा हुआ था। कितने घर लुटे और कितनी बहू-बेटियों की इज़्ज़त ख़ाक हुई— कोई हिसाब न था। पाँच व्यक्तियों की जान लेकर और दस को अपंग बनाकर उन्माद शान्त हुआ था। अमर बाबू के पुश्तैनी मकान के अगल-बगल के मकानों को छोड़कर पूरी गली में सभी घर मुसलमानों के थे। दस-बारह मकान छोड शुक्लाजी का मकान था। सामने वाली गली में भी सभी मुसलमान थे। पीछे वाली गली में हिन्दुओं के मकान अधिक थे। वहीं अधिक नुक़सान हुआ था। अमर बाबू का कोई नुक़सान न हुआ था, लेकिन जबसे उन्हें पता चला कि ...