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इरॉटिक कविता : तन मन की बात

4.8
854

उसके चिहरे की लज्जा को ,तन की शीतलता समझा। बाहों में भर कर उसके संयम की सीमा समझ पाया। और कविताएं पढ़ने के लिए प्रोफ़ाइल देखें और इंस्टा पर फॉलो करें।

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लेखक के बारे में

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समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    paramjeet singh
    16 जुलाई 2021
    बहुत ही खूबसूरत कविता है आपकी
  • author
    21 मई 2022
    nice
  • author
    Ashit Sharan "Ashit"
    08 अक्टूबर 2021
    बहुत सुन्दर।
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  • author
    paramjeet singh
    16 जुलाई 2021
    बहुत ही खूबसूरत कविता है आपकी
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    21 मई 2022
    nice
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    Ashit Sharan "Ashit"
    08 अक्टूबर 2021
    बहुत सुन्दर।