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एपिसोड 41 – "तेरे नाम का नशा"

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रात की चाँदनी दरभंगा की हवेली पर अपनी नरम रोशनी बिखेर रही थी। हवेली के चारों ओर सन्नाटा था, लेकिन अलीशा के दिल में तूफ़ान उठ रहा था। वो बरामदे में बैठी थी, सामने एक पुरानी डायरी खुली थी जिसमें उसकी ...

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Kajal Jha
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Kajal Jha

कभी खामोशी चीख उठती है कभी लफ्ज़ रो पड़ते हैं में बस उन्हें कागज़ पर उतार देती हूं

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