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एकता में बल

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एकता निर्बल का बल है, ये लाख टके की बात है। एकता में जीत हमारी, तमस को चीर प्रभात है। सार कब हैं बिखरे मोती, तंतु मिल माला बन जाए। एक-एक कर पुष्प गुंथे, तब कण्ठ-कान्ति बन जाए। खुल जाएं द्वार ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Girraj Khandelwal
    30 अप्रैल 2023
    एकता की महत्ता दर्शाती रचना, बहुत अच्छी लगी । वैसे आपकी हर रचना अपने आप में बेजोड़ लगती है और नई रचना का इन्तजार रहता है । राधे राधे जी ।
  • author
    Manju Ashok Rajabhoj
    30 अप्रैल 2023
    बहुत ही अच्छी प्रस्तुति दी आपने |👌👌😊 बहुत प्यारा सा हैं यह साहित्य का सफर | एक दूसरे की प्रस्तुति की करें हम कदर ||
  • author
    Suresh Deshmukh
    01 मई 2023
    जयकारी छंद की लाजवाब रचना 👌✍️🙏
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    Girraj Khandelwal
    30 अप्रैल 2023
    एकता की महत्ता दर्शाती रचना, बहुत अच्छी लगी । वैसे आपकी हर रचना अपने आप में बेजोड़ लगती है और नई रचना का इन्तजार रहता है । राधे राधे जी ।
  • author
    Manju Ashok Rajabhoj
    30 अप्रैल 2023
    बहुत ही अच्छी प्रस्तुति दी आपने |👌👌😊 बहुत प्यारा सा हैं यह साहित्य का सफर | एक दूसरे की प्रस्तुति की करें हम कदर ||
  • author
    Suresh Deshmukh
    01 मई 2023
    जयकारी छंद की लाजवाब रचना 👌✍️🙏