कह देना कितना आसान हैं पर एक हो जाना कितना मुश्किल अपने अपने वजूद के टुकड़े टुकड़े करके किन्ही अंधेरो में छिपाने होते हैं तब कही जाकर यह एक हो जाने के अरमान पिरोने पढ़ते हैं एक स्पेस जो मुझे तेरे खुश ...
नीलिमा शर्मा
कोई ख़ुशबू उदास करती है कहानी संग्रह की लेखिका ,मुट्ठी भर अक्षर,खुसरो दरिया प्रेम का , आईना सच नही बोलता हाशिये का हक़ ,मूड्स ऑफ लॉक डाउन , लुका छिपी, मृगतृष्णा की संपादक ओर लेखक
सारांश
नीलिमा शर्मा
कोई ख़ुशबू उदास करती है कहानी संग्रह की लेखिका ,मुट्ठी भर अक्षर,खुसरो दरिया प्रेम का , आईना सच नही बोलता हाशिये का हक़ ,मूड्स ऑफ लॉक डाउन , लुका छिपी, मृगतृष्णा की संपादक ओर लेखक
रिपोर्ट की समस्या
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