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एक थी माया !

4.7
88

एक कॉलोनी के खाली पड़े प्लाट में माया ने अपनी झोपड़ी डाल ली,और अपने दो बच्चों के साथ रहने लगी।जल्दी ही उसे आस पास के घरों में काम मिल गया ।माया का बेटा करीब छः साल का था और उसकी बेटी करीब तेरह साल की ...

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लेखक के बारे में
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अनीता वर्मा
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    bhoorelal mishra
    24 मार्च 2021
    एक अच्छी कहानी .... मानव व्यवहार की अजीब दांस्ता .... मां के द्वारा अपनी बेटी को ही एक अजीब uhaapohaatmk अवस्था में छोड़ कर ....बेटी के फूफे के साथ भाग जाना .... एक अजीब प्रवृति के लगातार समाज में विकसित होने को रेखांकित करती....साथ ही साथ स्वार्थ वश धन देने का प्रवृति को बहुत अच्छे उजागर करती है ।
  • author
    Data Ram "Bhattigain"
    10 जनवरी 2021
    बहुत बढ़िया कहानी है।
  • author
    धनु दयाल "Dhanu"
    21 दिसम्बर 2020
    दुनिया ग़ज़ब है हृदय स्पर्शी रचना
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    bhoorelal mishra
    24 मार्च 2021
    एक अच्छी कहानी .... मानव व्यवहार की अजीब दांस्ता .... मां के द्वारा अपनी बेटी को ही एक अजीब uhaapohaatmk अवस्था में छोड़ कर ....बेटी के फूफे के साथ भाग जाना .... एक अजीब प्रवृति के लगातार समाज में विकसित होने को रेखांकित करती....साथ ही साथ स्वार्थ वश धन देने का प्रवृति को बहुत अच्छे उजागर करती है ।
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    Data Ram "Bhattigain"
    10 जनवरी 2021
    बहुत बढ़िया कहानी है।
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    धनु दयाल "Dhanu"
    21 दिसम्बर 2020
    दुनिया ग़ज़ब है हृदय स्पर्शी रचना