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एक सुहानी शाम कविता

4.8
30

एक सुहानी शाम, जो पहुंचाया मुकाम।। दिल बेचैन हुआ,छिन गयाआराम। कब निकला सूरज,कब हुई शाम ।। चारों तरफ मचा,गली गली कोहराम। दिन  चाहे  रात,  कभी नहीं  विश्राम।। चुलबुली हसीना, पिलाया मधुर जाम। एक सुहानी ...

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लेखक के बारे में
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C.k. Singh Anajan

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    12 मार्च 2020
    nice
  • author
    11 मार्च 2020
    वाह वाह,, क्या बात है
  • author
    Megha Srivastava
    11 मार्च 2020
    wahhhhhhhhhhh बहुत खूब लिखा
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    12 मार्च 2020
    nice
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    11 मार्च 2020
    वाह वाह,, क्या बात है
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    Megha Srivastava
    11 मार्च 2020
    wahhhhhhhhhhh बहुत खूब लिखा