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एक रिश्ता ऐसा भी

4.3
32001

आँखे बंद किये हुए नंदनी ट्रेन के 1स्ट क्लास के डिब्बे में अपनी सीट पर लेटी हुई थी ।दूसरी बर्थ पर कोई नहीं था उसे मनमाफिक एकान्त भी जुट गया था ।पर लग रहा था उसका दिल भी ट्रेन के पहियो की रफ़्तार के साथ ...

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लेखक के बारे में
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आशा सिंह

डॉ आशा सिंह लेखन ,ब्यवसाय निजी ,स्कूल ,कॉलेज प्रबंधक

समीक्षा
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    05 मई 2018
    ...कहानी..या यूं कहूँ के उम्र के किसी हिस्से का सच..बहुत अच्छा लगा...ऐसी कहानियां ज़िन्दगी में बेक गियर लगा देती हैं । ... आपकी कहानी पढ़कर काफी देर मन गुमसुम हो गया...उचाट सा हो गया...जैसे मन फिर कहीं लगता नहीं है । कहानी अच्छी है । और आपकी ये कहानी शर्मिला टैगोर की फिल्म " सफर" से बहुत मिलती है । मैं चाहूँगा की आप उस फिल्म को ज़रूर देखें । साथ ही शर्मिला टेगोर की आप " ख़ामोशी" भी देखें...शायद आपको अपनी ही कहानी के कुछ हिस्से जीती जागती शक्ल में आपको दिखाई दे जाएँ । आपके कलम के लिए मेरी तरफ से दुआ..." शायद !..प्यार ज़िन्दगी में पाने के लिए कभी आता ही नहीं है ...कुछ सिखाने समझाने या फिर...जज़्बात की ज़मीं से आँखों का दरिया निकलाने के लिए आता है और ...धारा फूटते ही...चला जाता है ।"
  • author
    Smriti Verma
    05 मई 2018
    sab pyar aur sabhi pyar krne wale jruri nii hmesha galat ho pr hmare samaj ne ek alg hi paimana bna liya h usi paimane se sbko dekhte h sbko parkhate h pyar ka dusra pahlu( true love) unhe njar hi ni aata h...
  • author
    zishan
    16 अप्रैल 2017
    ये समाज की सत्ता का गुरुर है, ये परिवार की सत्ता गुरुर है, मत तोड़ उसे फिर चाहे जितनी भी मोहब्बत हो तुझे।
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    05 मई 2018
    ...कहानी..या यूं कहूँ के उम्र के किसी हिस्से का सच..बहुत अच्छा लगा...ऐसी कहानियां ज़िन्दगी में बेक गियर लगा देती हैं । ... आपकी कहानी पढ़कर काफी देर मन गुमसुम हो गया...उचाट सा हो गया...जैसे मन फिर कहीं लगता नहीं है । कहानी अच्छी है । और आपकी ये कहानी शर्मिला टैगोर की फिल्म " सफर" से बहुत मिलती है । मैं चाहूँगा की आप उस फिल्म को ज़रूर देखें । साथ ही शर्मिला टेगोर की आप " ख़ामोशी" भी देखें...शायद आपको अपनी ही कहानी के कुछ हिस्से जीती जागती शक्ल में आपको दिखाई दे जाएँ । आपके कलम के लिए मेरी तरफ से दुआ..." शायद !..प्यार ज़िन्दगी में पाने के लिए कभी आता ही नहीं है ...कुछ सिखाने समझाने या फिर...जज़्बात की ज़मीं से आँखों का दरिया निकलाने के लिए आता है और ...धारा फूटते ही...चला जाता है ।"
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    Smriti Verma
    05 मई 2018
    sab pyar aur sabhi pyar krne wale jruri nii hmesha galat ho pr hmare samaj ne ek alg hi paimana bna liya h usi paimane se sbko dekhte h sbko parkhate h pyar ka dusra pahlu( true love) unhe njar hi ni aata h...
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    zishan
    16 अप्रैल 2017
    ये समाज की सत्ता का गुरुर है, ये परिवार की सत्ता गुरुर है, मत तोड़ उसे फिर चाहे जितनी भी मोहब्बत हो तुझे।