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एक प्रकाशक को पीडि़त कवि का पत्र

3.6
713

मैं सब्जी खरीदने गया। दो रूपये किलो मूली, चार रूपए किलो के हिसाब से आधा किलो गाजर और छह रूपए किलो के हिसाब से एक पाव मटर खरीदी। सब्जी वाले को मैंने दस रूपए दिए तो वह साढ़े पांच रूपए काटने लगा। मैने ...

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लेखक के बारे में

जहां से शुरू होता हूँ वहां ख़त्म नहीं होता। ख़त्म वहां पर होना चाहता हूँ जहां से शुरू होने की कोई गुंजायश न बचे।

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    हमराझ
    22 ऑक्टोबर 2017
    मामा
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