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एक नई उड़ान

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शाम ढली और रात आ गई , देखो न एक बार फिर तुम्हारी बात आ गई । खैर बातें तो महज़ बातें ही हैं उनका क्या ही कहना ; जिदंगी है तो यादों कि गठरी तो साथ चलती ही रहेगी । अब उन यादों को सोच के दुखी होना है या ...

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लेखक के बारे में
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Dipti Prakash

जज़्बातों को शब्दों में पिरोने की एक छोटी - सी कोशिश करती हुई एक नादान बालिका😎 #Emotions❤️Speak💞

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    shubham kumar
    15 अप्रैल 2022
    behtarin
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