खुद ही खुद में मरते लड़के ! पर उफ़्फ़ तक न करते लड़के ! सपने ऊंचे पाले लड़के ! बुनते मकड़ी जाले लड़के ! घर से दूर हैं, माँ भी नही है ! कौन कहेगा 'खा ले लड़के'! पापा माँ से डरते लड़के ! बनते और बिगड़ते लड़के ! ...
“एक ये ख्वाहिश कोई ज़ख्म ना देखे
एक ये हसरत कोई देखने वाला होता”
मैं समंदर की वो लहर हूँ
जो शांत तो है लेकिन कमज़ोर नहीं...
खुद को भी वक्त दीजिये...
....क्योंकि.....
आपकी पहली जरुरत.
आप खुद हैं....
सारांश
“एक ये ख्वाहिश कोई ज़ख्म ना देखे
एक ये हसरत कोई देखने वाला होता”
मैं समंदर की वो लहर हूँ
जो शांत तो है लेकिन कमज़ोर नहीं...
खुद को भी वक्त दीजिये...
....क्योंकि.....
आपकी पहली जरुरत.
आप खुद हैं....
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