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एक जनवरी की आधी रात को

4.6
292

एक ने जूठन फेंकने से पहले केक के बचे हुए टुकड़े को सम्भालकर रख लिया किनारे दूसरा जो दारू के गिलास धो रहा था खगांल का पहला पानी अलग बोतल में इकट्ठा कर रहा था तीसरे ने नववर्ष की पार्टी की तैयारी करते ...

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लेखक के बारे में

  जन्म - १ मार्च १९७०, गोरखपुर, उ. प्र. । विद्युत अभियन्त्रण में उपाधि, हिन्दी तथा ज्योतिर्विज्ञान में स्नात्कोत्तर। साहित्यिक पत्रिका भोर सृजन संवाद का अरूण आदित्य के साथ संपादन। कविता संग्रह फिर कभी (1995) तथा उम्मीद (2015), वैज्ञानिक उपन्यास अन्तरिक्ष नगर (2001) तथा बाल उपन्यास मुट्ठी में किस्मत (2009) प्रकाशित। साहित्यिक पत्रिकाओं, सामाचार पत्रों, आकाशवाणी, ज्ञानवाणी और दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण एवं प्रकाशन । म.प्र साहित्य अकादमी का जहूर बक्स पुरस्कार, श्यामव्यास सम्मान, हिन्दी गरिमा सम्मान तथा कुछ अन्य सम्मान। अखबारों में पत्रकारिता। फिलहाल परमाणु ऊर्जा विभाग के राजा रामान्ना प्रगत प्रौद्यौगिकी केन्द्र, इन्दौर में वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर कार्यरत।  

समीक्षा
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  • author
    suchita bhagat
    02 नवम्बर 2023
    sunder aur dil ko chu lene wali rachna...ek alag drishtikone aur unchue pehlu ki ore ishra karte hue sunder aur adbhut rachna
  • author
    Siddharth Shaw
    14 जुलाई 2018
    आह
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    suchita bhagat
    02 नवम्बर 2023
    sunder aur dil ko chu lene wali rachna...ek alag drishtikone aur unchue pehlu ki ore ishra karte hue sunder aur adbhut rachna
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    Siddharth Shaw
    14 जुलाई 2018
    आह