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एक दिन

4.4
500

एक दिन मैंने भी सोचा चलो इश्क किया जाए। दिल का कमरा किसी हसीना को दिया जाए। मैंने भी एक हसीना की शुरू खोज कर दी। भगवान ने भी जल्दी ही मेरी मौज कर दी। एक कमसीन हसीना से मेरी मुलाकात हुई। आँखों ही ...

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लेखक के बारे में

पूरा नाम: डॉ सुलक्षणा अहलावत लेक्चरर इन इंग्लिश एजुकेशन डिपार्टमेंट हरियाणा गवर्मेंट

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    14 मार्च 2019
    मस्त है 👏👏👏
  • author
    Sumedha Prakash
    21 अक्टूबर 2018
    😀😀😀
  • author
    रमेश पाली
    15 सितम्बर 2018
    ghazab
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    14 मार्च 2019
    मस्त है 👏👏👏
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    Sumedha Prakash
    21 अक्टूबर 2018
    😀😀😀
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    रमेश पाली
    15 सितम्बर 2018
    ghazab