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एक डांसर की आत्मकथा और पछतावा

4.1
4614

कलाकार की सम्वेदना और सृजनात्मकता का नारी विमर्श ...

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लेखक के बारे में

शब्द अपने सफ़र में है ..वे इस सफ़र की मंज़िल भी हैं

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Preety Yadav
    12 जनवरी 2017
    यह केवल एक डांसर की ही आत्म कथा नहीं अपितु उन सभी लङकियों की कथा है , जो एक बार अपनी खुशियों से समझौता करती हैं फिर तो उन्हें बार-बार यही करना पङता है।
  • author
    🇦🅿🅰🆁🅽🅰 "लहर"
    17 जनवरी 2019
    बहुत सुंदर चित्रण डांसर की आत्मकथा का।ये केवल एक डांसर की आत्मकथा नहीं अपितु कहीं ना कहीं सभी की आत्मकथा है,हम अपनी कला/hobby/ dreams Ko kinare रख अपनी जिम्मेदारियों में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि समय होते हुए भी यूं सब चीजों के लिए समय नहीं निकाल पाते।
  • author
    Srk Consultants
    12 नवम्बर 2017
    bahut sahi,jyadatar mahilaon ki kahani
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    Preety Yadav
    12 जनवरी 2017
    यह केवल एक डांसर की ही आत्म कथा नहीं अपितु उन सभी लङकियों की कथा है , जो एक बार अपनी खुशियों से समझौता करती हैं फिर तो उन्हें बार-बार यही करना पङता है।
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    🇦🅿🅰🆁🅽🅰 "लहर"
    17 जनवरी 2019
    बहुत सुंदर चित्रण डांसर की आत्मकथा का।ये केवल एक डांसर की आत्मकथा नहीं अपितु कहीं ना कहीं सभी की आत्मकथा है,हम अपनी कला/hobby/ dreams Ko kinare रख अपनी जिम्मेदारियों में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि समय होते हुए भी यूं सब चीजों के लिए समय नहीं निकाल पाते।
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    Srk Consultants
    12 नवम्बर 2017
    bahut sahi,jyadatar mahilaon ki kahani