मैं डॉ. बन्दना पाण्डेय झारखंड देवघर से। कहानियों को पढ़ना और उन्हें महसूस करना अच्छा लगता है। परंतु कहानी गढ़ने की लालसा से फेसबुक के विभिन्न साहित्यिक समूहों से जोड़ दिया ।
मूलत: मैं लेखन से अपनी अनुभूतियों को ही शब्द देती हूँ। सच कहूँ तो जब भी मैं अपने आस पास बिखरी कहानियों को शब्द देने का प्रयास करती हूँ मुझे आत्मसंतोष होता है।
मैं लेखिका या कवयित्री नहीं बस अनुभूतियों को शब्द देने का एक लघु प्रयास मुझे आत्मसंतोष देता है।
चुनकर भावनाओं के मोती
अहसास के धागे से गूंथकर
अनुभूतियों की माला पिरोती हूँ
मन के कोरे कागज पर जीवन की किताब लिखती हूँ।
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या