एक बूढ़े को जब पूछा गया कि वह क्यूँ इस हिरनी को साथ लेकर जगह जगह घूमता रहता है तब उसने अपना वृतांत कुछ एसे बताया ---- यह हिरनी मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह ...
ये कहानी नहीँ कही जासकती ,इसमें कथावस्तु का ताल मेल नहीं है, न सामाजिक ,न यथार्तवाद ,न तिलस्मी, न जासूसी, न मनोवैज्ञानिक, न नारिचेतना , भाषा शैली का आभाव, संक्षेप में कहानी में भाव पक्ष -कलापक्ष दोनो का अभाव है इसलिए मैं एक पाठक के हैसियत से इसे
अ कहानी मानता हूं - धन्यवाद ।
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