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एक बेनाम सा रिश्ता

4.4
9422

वह मेरे सामने वाले घर में रहतीं थी……हर सुबह अपने छत की मुंडेर पर पढ़ते हुए मैं उन्हे देखा करता….शांत सौम्य चेहरा….काजल भरी खूबसूरत बड़ी बड़ी आँखें…सलीके से जूड़े में बंधे बाल…..करीने से काँधे पर बंधा हुआ साड़ी का पल्लू…फुर्तीले कदमों से चलती हुई …कभी इधर कभी उधर….यूँ लगता था हर वक़्त मसरूफ हैं… बस कभी कभी शाम के समय छत पर दिखती थीं….मुंडेर पर कोहनी टिकाये…दोनों हथेलियों में अपने चेहरे को समेटे हुए….जाने क्या देखती रहती थीं आकाश की ओर….एक अजीब सा सूनापन दिखता था उस समय उनकी आँखों में… ….जब मेरी ओर ...

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लेखक के बारे में
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Sonal Randhawa

Author-ताना-बाना Available on Amazon,Flipkart स्टेथोस्कोप और क़लम ... विज्ञान और कला का समागम.... A doctor by profession..a writer by passion!

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Akash Srivastav
    26 मार्च 2018
    Awsome.... No words to explain the beauty of this story.....
  • author
    Santosh Vidyadhar Mishra
    31 जनवरी 2018
    Good
  • author
    Gaurav Manmatangi
    25 जनवरी 2018
    very nice story mam....
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  • author
    Akash Srivastav
    26 मार्च 2018
    Awsome.... No words to explain the beauty of this story.....
  • author
    Santosh Vidyadhar Mishra
    31 जनवरी 2018
    Good
  • author
    Gaurav Manmatangi
    25 जनवरी 2018
    very nice story mam....