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एक औरत का एक दिन

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सुबह पांच बजे से दिन शुरू होता है या शायद चार बजे से या तीन बजे से...आधी रात के बाद से. भागती हुई रात थक गयी है और अब पीछे हटती छिप गयी है. सूरज आसमान में अपनी जगह बदलता है. सुबह छः बजे मैं अपनी ...

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लेखक के बारे में
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जया जदवानी

जन्म – 1 मई १९५९ को कोतमा ,जिला –शहडोल [मध्यप्रदेश ] शिक्षा – एम. ए. हिंदी और मनोविज्ञान रुचियां – जीवन के रहस्यों और दुर्लभ पुस्तकों का अध्ययन ....यायावरी ,दर्शन और मनोविज्ञान में विशेष रूचि ...... कृतियाँ :- कविता संग्रह : मैं शब्द हूँ अनंत संभावनाओं के बाद भी उठाता है कोई एक मुठ्ठी ऐश्वर्य कहानी संग्रह : 1 : मुझे ही होना है बार –बार 2 : अन्दर के पानियों में कोई सपना कांपता है 3 : उससे पूछो 4 : मैं अपनी मिट्टी में खडी हूँ कांधे पे अपना हल लिये 5 : समन्दर में सूखती नदी [ प्रतिनिधि कहानी संग्रह ] 6 : बर्फ़ जा गुल [ सिन्धी कहानी संग्रह ] 7 : खामोशियों के देश में [ सिन्धी कहानी संग्रह ] 8 : ये कथाएं सुनाई जाती रहेंगी हमारे बाद भी [प्रतिनिधि कहानी संग्रह] उपन्यास : 1: तत्वमसि 2: कुछ न कुछ छूट जाता है 3 : मिठो पाणी खारो पाणी [ सिन्धी में भी प्रकाशित ] अन्य : ‘’अन्दर के पानियों में कोई सपना कांपता है ‘’पर ‘इंडियन क्लासिकल’ के अंतर्गत एक टेलीफिल्म का निर्माण अनेक रचनाओं का अंग्रेजी ,उर्दू ,पंजाबी ,उड़िया ,सिन्धी ,मराठी ,बंगाली भाषाओँ में अनुवाद... एक कविता सी.बी.एस.सी ८ में चयनित ‘’इतना कठिन समय नहीं ‘’ हिमालय की यात्रायें .... लद्दाख पर यात्रा वृतान्त......... मुक्तिबोध सम्मान...... कहानियों पर गोल्ड मैडल .......

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    Arunima Dinesh Thakur "अनु"
    21 फ़रवरी 2020
    पता नहीं क्या लिखा हैं . . . या क्या क्या लिखा हैं . . पर जो भी लिखा है हर शब्द एक घाव करता जा रहा हैं। सच में सोफे पर कपड़े की जगह घास हो. . . बिस्तर पर लेटे तो तारे दिखें. . . एक एक शब्द कमाल . . . . अन्य कहानियाँ मन की खुराक बनती हैं। आपकी कहानी ने तो दिमाग की भूख मिटा दी I बहुत सालों बाद कुछ बहुत अच्छा पढ़ा। साधुवाद
  • author
    13 जुलाई 2020
    एक अलग ही तरह की सृजनात्मक कहानी , लेकिन कुछ मायूस सी होती भावना लगी मन की, आमतौर पर ऐसी भावनाएं तभी आ सकती हैं जब इंसान के अंदर कोई शौख ना बचे,लेकिन ये खालीपन ठीक नहीं।
  • author
    mukesh yadav
    06 जून 2021
    l am speechless 😶
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    Arunima Dinesh Thakur "अनु"
    21 फ़रवरी 2020
    पता नहीं क्या लिखा हैं . . . या क्या क्या लिखा हैं . . पर जो भी लिखा है हर शब्द एक घाव करता जा रहा हैं। सच में सोफे पर कपड़े की जगह घास हो. . . बिस्तर पर लेटे तो तारे दिखें. . . एक एक शब्द कमाल . . . . अन्य कहानियाँ मन की खुराक बनती हैं। आपकी कहानी ने तो दिमाग की भूख मिटा दी I बहुत सालों बाद कुछ बहुत अच्छा पढ़ा। साधुवाद
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    13 जुलाई 2020
    एक अलग ही तरह की सृजनात्मक कहानी , लेकिन कुछ मायूस सी होती भावना लगी मन की, आमतौर पर ऐसी भावनाएं तभी आ सकती हैं जब इंसान के अंदर कोई शौख ना बचे,लेकिन ये खालीपन ठीक नहीं।
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    mukesh yadav
    06 जून 2021
    l am speechless 😶