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एक और पहचान

4.1
1747

प्लेटफॉर्म पर एक चबूतरे के पास बैठने वाला भिखारी..... दरअसल यही उसकी असली पहचान थी जिसे उसकी ‘बाबानुमा’ सूरत भी छिपाने में नाकाम थी। सुबह-सुबह झाड़ू लगाती लक्ष्मी को भरी-पूरी नज़रों से ताड़ते हुए ...

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लेखक के बारे में

जन्मतिथि- 15 जुलाई 1981 शिक्षा- विज्ञान स्नातक (गणित) सम्प्रति- राज्य कर उपायुक्त, वाणिज्यिक कर विभाग, मध्यप्रदेश पता-308, श्रीरामेश्वरम डीलक्स, बागमुगलिया, भोपाल (म.प्र.) वेबसाइट- www.mwonline.in ब्लॉग- vimisahitya.wordpress.com विधाएँ- गीत, ग़ज़ल, अतुकांत, भारतीय छंद और लघुकथा प्रकाशन- अँधेरों की सुबह (ग़ज़ल संग्रह), दोहा प्रसंग (संपादन), शब्दशिल्पी (संपादन). "समवेत स्वर", "साज़ सा रंग" और "त्रिसुगंधी" साझा संकलनों तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित.

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    manish jain
    09 नवम्बर 2017
    बहुत शानदार तरीके से समाज की वास्तविकता को प्रदर्शित किया है सर। शानदार
  • author
    Nisha
    24 मार्च 2019
    सुंदर रचना
  • author
    14 दिसम्बर 2018
    समाज की सच्चाइ
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    manish jain
    09 नवम्बर 2017
    बहुत शानदार तरीके से समाज की वास्तविकता को प्रदर्शित किया है सर। शानदार
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    Nisha
    24 मार्च 2019
    सुंदर रचना
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    14 दिसम्बर 2018
    समाज की सच्चाइ