जब दिखेंगे आम के मंजर अगले बरस
फागुन बौरा उठेगा
और मैं हो जाउंगी सरसों की तरह
थोड़ी और पीली दर्द से जब झूमेगा मौसम कोयल की कूक से
एक हुक मेरे अन्दर भी उठेगी एक दिन वैशाख लगा जाएगा पेड़ पर टिकोला
और हो ...
कविता की थीम मार्वलस है। दिल को छूने वाली भावनाएं इस में हैं। कुछ भाषायी गलतियों से रचना कमजोर हो गई है। थोड़ा एडिटिंग की भी जरूरत है ताकि फ्लो अच्छा हो जाए।
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कविता की थीम मार्वलस है। दिल को छूने वाली भावनाएं इस में हैं। कुछ भाषायी गलतियों से रचना कमजोर हो गई है। थोड़ा एडिटिंग की भी जरूरत है ताकि फ्लो अच्छा हो जाए।
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