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एक आम सी कविता

4.1
794

जब दिखेंगे आम के मंजर अगले बरस फागुन बौरा उठेगा और मैं हो जाउंगी सरसों की तरह थोड़ी और पीली दर्द से जब झूमेगा मौसम कोयल की कूक से एक हुक मेरे अन्दर भी उठेगी एक दिन वैशाख लगा जाएगा पेड़ पर टिकोला और हो ...

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समीक्षा
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    रोशन प्रेमयोगी
    12 दिसम्बर 2017
    कविता की थीम मार्वलस है। दिल को छूने वाली भावनाएं इस में हैं। कुछ भाषायी गलतियों से रचना कमजोर हो गई है। थोड़ा एडिटिंग की भी जरूरत है ताकि फ्लो अच्छा हो जाए।
  • author
    Naveen Pawar
    28 जनवरी 2022
    आपने अपनी रचना के माध्यम से मानव सुलभ खुबियों व कमजोरियों दोनों का बहुत ही सुंदर समन्वय किया है बहुत ही सुंदर बेहतरीन ।
  • author
    Satpal. Singh Jatiyan
    06 जनवरी 2019
    kmaal ki Kavita h .mujhe es prakar ki prateekatamk kavitaye achchhi lagti hn.so nice of you mam ji
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    रोशन प्रेमयोगी
    12 दिसम्बर 2017
    कविता की थीम मार्वलस है। दिल को छूने वाली भावनाएं इस में हैं। कुछ भाषायी गलतियों से रचना कमजोर हो गई है। थोड़ा एडिटिंग की भी जरूरत है ताकि फ्लो अच्छा हो जाए।
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    Naveen Pawar
    28 जनवरी 2022
    आपने अपनी रचना के माध्यम से मानव सुलभ खुबियों व कमजोरियों दोनों का बहुत ही सुंदर समन्वय किया है बहुत ही सुंदर बेहतरीन ।
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    Satpal. Singh Jatiyan
    06 जनवरी 2019
    kmaal ki Kavita h .mujhe es prakar ki prateekatamk kavitaye achchhi lagti hn.so nice of you mam ji