जब दिखेंगे आम के मंजर अगले बरस फागुन बौरा उठेगा और मैं हो जाउंगी सरसों की तरह थोड़ी और पीली दर्द से जब झूमेगा मौसम कोयल की कूक से एक हुक मेरे अन्दर भी उठेगी एक दिन वैशाख लगा जाएगा पेड़ पर टिकोला और हो ...
जब दिखेंगे आम के मंजर अगले बरस फागुन बौरा उठेगा और मैं हो जाउंगी सरसों की तरह थोड़ी और पीली दर्द से जब झूमेगा मौसम कोयल की कूक से एक हुक मेरे अन्दर भी उठेगी एक दिन वैशाख लगा जाएगा पेड़ पर टिकोला और हो ...