बाहर बारिश की छप छप और बादलों की गड़गड़ाहट जारी थी।कभी कभी बिजली भी एक जोर की दहाड़ के साथ अपनी हाजरी लगा देती। सरिता फटाफट काम निपटाने की कोशिश कर रही थी।सुबह के दस बजने वाले थे और सरिता अब तक ...
बिखरना है शब्दों में
खुशबू बनकर
घुल जाऊंगी हवाओं में
कहानी बनकर
❤️❤️❤️❤️❤️
न मुझे मनमंदिर में बसाना
न दिल आँगन में छुपाना
न नाम से, न सूरत पर
मेरे शब्दों को ही मेरी पहचान बनाना
सृजन संवाद
https://srijan.live/members/bhartibhanu/
सारांश
बिखरना है शब्दों में
खुशबू बनकर
घुल जाऊंगी हवाओं में
कहानी बनकर
❤️❤️❤️❤️❤️
न मुझे मनमंदिर में बसाना
न दिल आँगन में छुपाना
न नाम से, न सूरत पर
मेरे शब्दों को ही मेरी पहचान बनाना
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रिपोर्ट की समस्या
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