pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

ऐ लड़की ! भैया मत बोलना

4.7
40855

हर साल रक्षाबंधन मे वो इन दोनों भाईयों के नाम की राखी जरूर खरीदती ...मन ही मन ढ़ेरों दुआ मांगती भगवान से...फिर सहेज कर रखी राखियां हर साल बढ़ती जातीं ....पति घोर व्यापारिक बुद्धि थें सो उनके दिमाग ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

भावनाओं के गर्म थपेड़े ...जज्बातों की उमस औ दर्द की नमी...भपाते हैं दिलोदिमाग को ..बरस जाता हैं अंतर्मन..उग आते हैं शब्द...शब्द दर शब्द ...

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    पाण्डेय अनिक
    31 டிசம்பர் 2017
    बस यही कह सकूँगा कि... इसे कहानी मत कहना। यह निश्छल दिल से निकली अबोध संबंध की रागिनी है... जो शब्दों में ढली है। -- पाण्डेय अनिक
  • author
    Pacific 191
    09 மே 2018
    इस कहानी की तारीफ कैसे करूँ। दिल मे उत्तर गयी। पता नही क्यों मुझे उन तीनों का प्यार महसूस हो रहा है, और दिल भारी भारी।
  • author
    Neeha Bhasin
    07 ஜூன் 2018
    Kash mai is katha ka ant badal pati aur sari ki sari rakhiya ek sath us bhai ke hath pr bandh deti
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    पाण्डेय अनिक
    31 டிசம்பர் 2017
    बस यही कह सकूँगा कि... इसे कहानी मत कहना। यह निश्छल दिल से निकली अबोध संबंध की रागिनी है... जो शब्दों में ढली है। -- पाण्डेय अनिक
  • author
    Pacific 191
    09 மே 2018
    इस कहानी की तारीफ कैसे करूँ। दिल मे उत्तर गयी। पता नही क्यों मुझे उन तीनों का प्यार महसूस हो रहा है, और दिल भारी भारी।
  • author
    Neeha Bhasin
    07 ஜூன் 2018
    Kash mai is katha ka ant badal pati aur sari ki sari rakhiya ek sath us bhai ke hath pr bandh deti