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द्वितीय पुण्य स्मरण

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तुम प्रेम हो… तुम प्रीत हो.. मनमीत हो… ,हो.. थे… और रहोगे….आज से ठीक दो साल पहले दैहिक साथ छूटा है…लेकिन आज भी तुम भावना की जीत हो.. तुम सर्वस्य हो..। अपरिचय से सर्वस्य का सफ़र…जिसके अनगिनत सोपान…और ...

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लेखक के बारे में
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Rashmi Garg

मेरी लेखनी मेरी पहचान है शब्दों से ही दर्द बयान है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rakesh Chaurasia
    11 मई 2023
    बहुत दुख होता है जब अपना प्रियजन हमसे बिछड़ता है। पर यही तो सृष्टि का नियम है। शायद उनकी भगवान को हमसे ज्यादा जरूरत होगी। यही सोचकर दिल को तसल्ली दे सकते हैं।
  • author
    Ashwini Kumar
    10 मई 2023
    बहुत सुंदर  रचना बेहतरीन प्रस्तुति 🎈🎈
  • author
    Madhavi Sharma "Aparajita"
    10 मई 2023
    बेहद भावपूर्ण श्रद्धांजलि.... 🙏🙏
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rakesh Chaurasia
    11 मई 2023
    बहुत दुख होता है जब अपना प्रियजन हमसे बिछड़ता है। पर यही तो सृष्टि का नियम है। शायद उनकी भगवान को हमसे ज्यादा जरूरत होगी। यही सोचकर दिल को तसल्ली दे सकते हैं।
  • author
    Ashwini Kumar
    10 मई 2023
    बहुत सुंदर  रचना बेहतरीन प्रस्तुति 🎈🎈
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    Madhavi Sharma "Aparajita"
    10 मई 2023
    बेहद भावपूर्ण श्रद्धांजलि.... 🙏🙏