pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

दुष्यन्त और शकुन्तला की प्रणय कथा

4.9
330

"बेटे तुम्हारे माता पिता का क्या नाम है । तुम इस तरह शेर के बच्चे के साथ खेल रहे हो तुम्है डर नहीं लग रहा। ".राजा दुष्यंत ने भरत से  पूछा। भरत ने उत्तर देते हुए बोला," श्रीमानजी मेरे ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
नरेश शर्मा

मेरे परम प्रिय साथी लेखको व पाठको आप सभी को मेरा नमस्कार, मैने लेखन का कार्य छात्र जीवन में ही आरम्भ कर दिया था।यह बात सन् 1980 की है तब मुझे धार्मिक ग्रन्थ व सामाजिक उपन्यास पढ़ने का शौक था । उसी समय मुझे कुछ लिखने की इच्छा जाग्रत हुयी। उस समय मैने दो उपन्यास लिखे।. परन्तु मै एक गाँव से था। जिससे मेरे उपन्यास छप नहीं सके ।मैने अपने उपन्यास एक प्रैस पर छपने के लिए भेजा था। वह मेरा उपन्यास छापने को तैयार थे परन्तु मेरा नाम देने को तैयार नहीं थे। और मेरा उपन्यास छप नहीं सका। और उसी बीच शादी हो गयी और पारवारिक परस्थितियां ऐसी होगयी कि मै इस लाइन से दूर हटकर कमाने में लग गया क्यौकि शादी के बाद जिम्मेदारी से दूर नहीं भाग सकता था।। अब बच्चे अपने परिवार के साथ सैट है प्रतिलिप पर लेखन का कार्य पुनः आरम्भ किया है। अब आपके लिए कहानी लिख रहा हूँ आप सब का साथ इसी प्रकार मिलता रहा तो मै प्र तिलिप पर अपना उपन्यास भी आप सब के लिए अति शीघ्र प्रस्तुत करूंगा । नव बर्ष 2021 की आप सभी को शुभ कामनाऐ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    JETHARAM MANARAM "CHOUDHARY"
    26 जून 2021
    अति सुन्दर रचना है सा
  • author
    Manju
    27 जून 2021
    behtreen rachna
  • author
    Kusum Sharma
    26 जून 2021
    अति सुन्दर
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    JETHARAM MANARAM "CHOUDHARY"
    26 जून 2021
    अति सुन्दर रचना है सा
  • author
    Manju
    27 जून 2021
    behtreen rachna
  • author
    Kusum Sharma
    26 जून 2021
    अति सुन्दर