pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

दूधो नहाओ पूतो फलो

4.4
18268

गंगोत्री बहुत कशमकश में थी। उसे बहुत डर लग रहा था। मन में एक उम्मीद भी थी पर एक डर भी था कि कहीं इस बार भी... एक अनचाहे भविष्य के बारे में सोचकर ही वो सिहर उठती थी। कैसे और क्या बताये वो हिमवान से? ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Aakash's Effect

🙏

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Archana Shah
    16 फ़रवरी 2019
    सास प्राध्यापिका और पति इंजीनियर... हमारे देश में ऐसे पढ़े लिखे ही कुंचित ख्यालों के होते हैं।जिन्हें बेटे के बिना अपना भविष्य अंधकार मय लगता है।पढ़ाई केवल नौकरी पाने का ज़रिया मात्र रह गई है। पर जो पढ़गये हैं उम्मीद उन्हीं से है। कहानी का अंत दुखद है पर सीख भी यही है। सामाजिक सच को उजागर करती कहानी।
  • author
    Anurag Goyal
    18 मई 2018
    maine dekha h apni maa ko ye sub jhelte hue but thank god ki mere papa ne meri maa ka pura satth diya aaj hum 4 bhen or ek bhai h .mere parents ne kabhi humhe kam nshi samja .i love my mummy papa.
  • author
    Monika Dhaiya
    14 मई 2019
    लडकी को इतना भी नही ड़रना चाहिये।थोड़ा समय के साथ खुद भी स्खत होना चाहिए ।एसे केसे कोई किसी की मानहानी कर सकते हैं ।अपना स्वाभिमान कभी मत मरने दो ।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Archana Shah
    16 फ़रवरी 2019
    सास प्राध्यापिका और पति इंजीनियर... हमारे देश में ऐसे पढ़े लिखे ही कुंचित ख्यालों के होते हैं।जिन्हें बेटे के बिना अपना भविष्य अंधकार मय लगता है।पढ़ाई केवल नौकरी पाने का ज़रिया मात्र रह गई है। पर जो पढ़गये हैं उम्मीद उन्हीं से है। कहानी का अंत दुखद है पर सीख भी यही है। सामाजिक सच को उजागर करती कहानी।
  • author
    Anurag Goyal
    18 मई 2018
    maine dekha h apni maa ko ye sub jhelte hue but thank god ki mere papa ne meri maa ka pura satth diya aaj hum 4 bhen or ek bhai h .mere parents ne kabhi humhe kam nshi samja .i love my mummy papa.
  • author
    Monika Dhaiya
    14 मई 2019
    लडकी को इतना भी नही ड़रना चाहिये।थोड़ा समय के साथ खुद भी स्खत होना चाहिए ।एसे केसे कोई किसी की मानहानी कर सकते हैं ।अपना स्वाभिमान कभी मत मरने दो ।