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दोस्ती की ग़ज़ल

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क्यों मिलते हो आजकल जरा कम से। खोये-खोये से रहते हो कहाँ गुमसुम से।।1।। माना कम बोलना मिज़ाज है हमारा। पर तुम तो बातें हज़ार करते थे हम से।।2।। ये फूल सी दोस्ती यूँ ही मुरझा न जाए । ...

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लेखक के बारे में
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Sonal Omar

हिंदी साहित्य की विद्यार्थी एवं साहित्य प्रेमी

समीक्षा
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    अमजद
    01 सितम्बर 2020
    वाहजी, वाह बहुत खूब 👌👌✍️😍😍
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    अमजद
    01 सितम्बर 2020
    वाहजी, वाह बहुत खूब 👌👌✍️😍😍