डोगरगढ़ के पहाड़ जहाँ सीढ़ियाँ हजार दर्शन देना हो मैया हम आयेन तोरे दुआर। पहले पहर मा मैया बालक रूप लागे हो अस मन लागे मैया गोदी मा बैठा लौ ओ डोंगरगढ़ के पहाड़---------------। दूसर पहर मा मैया दुल्हन ...
रचनाकारों की पवित्र अनुभूतियाँ अगर धूप की भांति माँ भारती की अोर उठने लगती हैं । सृजन ही उनकी सच्ची उपासना है। अपने सृजन से लेखक समाज को दिशा दे सकता है।
सारांश
रचनाकारों की पवित्र अनुभूतियाँ अगर धूप की भांति माँ भारती की अोर उठने लगती हैं । सृजन ही उनकी सच्ची उपासना है। अपने सृजन से लेखक समाज को दिशा दे सकता है।
दीदी तुम डोंगरगढ़ से हो कि डोगर गांव या मेरे गाँव या तेरे गाँव या फिर चौकी मोहला मानपुर ।
दीदी लिखी तो बहुत अच्छा हो पर मुझे जानना था मैं महासमुन्द से हु पर मैं अम्बा गढ़ चौकी में रहता था। 6 से 7 साल से अब महासमुन्द में रहता हूं
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दीदी तुम डोंगरगढ़ से हो कि डोगर गांव या मेरे गाँव या तेरे गाँव या फिर चौकी मोहला मानपुर ।
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