108 श्री प्रणम्य सागर जी महाराज जी के प्रवचन से प्रेरित दोहे- दोहा सप्तक सामायिक के ध्यान में, किसका करना ध्यान । बता रहें गुरुवर हमें, सो पढ़ लो श्रीमान ।। कष्ट, मरण या दुख समय, शरण रहित ...
जो नहीं था पास मेरे नाम वो अपना लिया
दुख भरे जीवन में यूँ "आनन्द' देखो पा लिया
विनय जैन "आनन्द'
विनय जैन "आनन्द'
विनय जैन S/O राजेन्द्र जी जैन, पालोदा- बांसवाड़ा ( राज. )
माता - शुशीला देवी
बहनें - डिंपल, हर्षिता, मेघा
9460245606
सारांश
जो नहीं था पास मेरे नाम वो अपना लिया
दुख भरे जीवन में यूँ "आनन्द' देखो पा लिया
विनय जैन "आनन्द'
विनय जैन "आनन्द'
विनय जैन S/O राजेन्द्र जी जैन, पालोदा- बांसवाड़ा ( राज. )
माता - शुशीला देवी
बहनें - डिंपल, हर्षिता, मेघा
9460245606
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