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दोहा

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108 श्री प्रणम्य सागर जी महाराज जी के प्रवचन से प्रेरित दोहे-              दोहा सप्तक सामायिक के ध्यान में, किसका करना ध्यान । बता रहें गुरुवर हमें, सो पढ़ लो श्रीमान ।। कष्ट, मरण या दुख समय, शरण रहित ...

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लेखक के बारे में
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Vinay Jain 'Anand'

जो नहीं था पास मेरे नाम वो अपना लिया दुख भरे जीवन में यूँ "आनन्द' देखो पा लिया विनय जैन "आनन्द' विनय जैन "आनन्द' विनय जैन S/O राजेन्द्र जी जैन, पालोदा- बांसवाड़ा ( राज. ) माता - शुशीला देवी बहनें - डिंपल, हर्षिता, मेघा 9460245606

समीक्षा
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  • author
    Krishna Shukla
    15 செப்டம்பர் 2023
    बहुत खूब मोक्ष मार्ग ही सत्य मार्ग है बधाई
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    Krishna Shukla
    15 செப்டம்பர் 2023
    बहुत खूब मोक्ष मार्ग ही सत्य मार्ग है बधाई