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दो पन्ने की औरत

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4.0

वह थी ही ऐसी या ऐसी बनाई गई थी...यह बताने के लिए वह कई पन्ने घिसने वाली है। डायरी के सारे पन्ने भर देने के बाद भी वह संतुष्ट नहीं थी। उसे मालूम था एक दिन दुनिया उसे कई पन्नों में देखकर अपना नजरिया ...