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दो पैकेट दूध

4.6
17280

जिंदगी बड़ी अजब-गजब है...तरह तरह के इम्तिहान लेती है..जब देती है तो छप्पड़ फाड़ कर देती है और जब रूठती है तो हर दिन शमशान सा लगता है...काफी दिनों से कुछ काम ना मिलने की वजह से मैं बिल्कुल निठल्ला हो गया ...

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लेखक के बारे में

इलाहबाद विश्विद्यालय से भौतिक शास्त्र मे स्नातकोत्तर मध्य प्रदेश के भोपाल जिले मे निवासरत मूलतः कानपुर (उ.प्र.)का निवासी [email protected]

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shefali Dubey
    09 जुलाई 2016
    इस सोच को दाद मिलनी चाहिये..की गरीब की मदद गरीब ही कर सकता हैं..क्यूँकि कुछ ना होते हुए भी ..' दाता ' वही हो सकताहैं...स्वाभिमान के साथ बहुत उम्दा लिखा..बेरोजगारी की सुबह मे चाय ..पर चोरी के दूध की..वो भी अपने जैसे किसी बेबस...पूर्ती का मतलब प्रसन्नता तो हैं..पर self respect की कीमत पर नही..पूरा जीवन संघर्ष माँगता है..निपटना मेहनत से ही पड़ता हैं..गरीबी हीनता लाती हैं..जिससे दुख..दुख बुद्धि को क्षीण ...जो गलती को उकसाती हैं..पर मेहनत और स्वाभिमान बचा लेते हैं....मसीहा बना देते है... ऐसी कोई रात नही..जिसकी सुबह न हो..जिदंगी अजब जरूर..पर स्वाभिमान से गजब भी.....
  • author
    pravesh
    08 जुलाई 2016
    Its a wonderful story... बहुत ही सुंदर सन्देश...गरीब की मदद गरीब के द्वारा..आज इसी की जरुरत ..तभी गरीबों का शोषण रुकेगा...अद्भुत सोच पर आधारित एक बेहतरीन लघु कथा..😊😊
  • author
    Anil Tiwari
    08 जुलाई 2016
    गरीबों के स्वाभिमान का बहुत ही सुंदर सार्थक और बेहतरीन विश्लेषण...गरीब ही गरीबों का मसीहा होना चाहिए...कोई राजनेता या बड़ा आदमी नहीं...बेहतरीन और अद्धभुत सोच...ऐसी कहानी प्रायः कम पढ़ने को मिलती हैं...आप जैसे रचनाकारों को प्रणाम जो ऐसे सार्थक विषय पर आज भी लिख रहे हैं..ज्वलंत विषय...गरीब की खुद्दारी को मेरा सलाम और आपको साधुवाद..
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    Shefali Dubey
    09 जुलाई 2016
    इस सोच को दाद मिलनी चाहिये..की गरीब की मदद गरीब ही कर सकता हैं..क्यूँकि कुछ ना होते हुए भी ..' दाता ' वही हो सकताहैं...स्वाभिमान के साथ बहुत उम्दा लिखा..बेरोजगारी की सुबह मे चाय ..पर चोरी के दूध की..वो भी अपने जैसे किसी बेबस...पूर्ती का मतलब प्रसन्नता तो हैं..पर self respect की कीमत पर नही..पूरा जीवन संघर्ष माँगता है..निपटना मेहनत से ही पड़ता हैं..गरीबी हीनता लाती हैं..जिससे दुख..दुख बुद्धि को क्षीण ...जो गलती को उकसाती हैं..पर मेहनत और स्वाभिमान बचा लेते हैं....मसीहा बना देते है... ऐसी कोई रात नही..जिसकी सुबह न हो..जिदंगी अजब जरूर..पर स्वाभिमान से गजब भी.....
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    pravesh
    08 जुलाई 2016
    Its a wonderful story... बहुत ही सुंदर सन्देश...गरीब की मदद गरीब के द्वारा..आज इसी की जरुरत ..तभी गरीबों का शोषण रुकेगा...अद्भुत सोच पर आधारित एक बेहतरीन लघु कथा..😊😊
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    Anil Tiwari
    08 जुलाई 2016
    गरीबों के स्वाभिमान का बहुत ही सुंदर सार्थक और बेहतरीन विश्लेषण...गरीब ही गरीबों का मसीहा होना चाहिए...कोई राजनेता या बड़ा आदमी नहीं...बेहतरीन और अद्धभुत सोच...ऐसी कहानी प्रायः कम पढ़ने को मिलती हैं...आप जैसे रचनाकारों को प्रणाम जो ऐसे सार्थक विषय पर आज भी लिख रहे हैं..ज्वलंत विषय...गरीब की खुद्दारी को मेरा सलाम और आपको साधुवाद..