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दीवाली और बर्बादी

4.6
28

पटाखों की धूम और जगमगाता आसमान,  खिलखिलाते चेहरे और बेहद खूबसूरत नज़ारा। दीवाली का त्योहार जब हर कोई खुशी में झूम रहा था,  अपने कमरे की बालकनी में अपने टूटे हुए दिल के टुकड़ों को समेटने में लगी ...

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लेखक के बारे में
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पारुल

अपने दिल से जानिए पराये दिल का हाल। जिस बात से मुझे तकलीफ होती है तो दूसरों को भी हो सकती है। यही मेरे जीवन का मन्त्र है।

समीक्षा
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    अञ्जनी लाल ओझा
    25 नोव्हेंबर 2022
    अक्सर पुरुषों को एक खुमारी चढ़ी होती है! चढ़ी क्या होती है बचपन से पाल दी जाती है। उनके पास पत्नी से श्रेष्ठ होने का तमगा है। और इस बीज को समाज एक विशालकाय वृक्ष में बदल देता है। वर्ण( रंग) भेद एक पुरानी समस्या है! इस समस्या को आधार बनाकर एक बेहतर कथानक वाली कहानी है। परिणति को भविष्य की सु संभाव्यताओं के साथ रोचक बनाया है। आपके द्वारा लिखी और मेरे द्वारा पड़ी अच्छी रचनाओं में से एक।,,
  • author
    06 जानेवारी 2023
    बहुत खूब 😊🙏 "अनसुलझा वक़्त " रचना को अवश्य पढ़ें 😊😊 https://pratilipi.page.link/ycvFBufqzAmmhgK48 😊😊
  • author
    18 ऑक्टोबर 2022
    बढ़िया प्रस्तुति आपकी 💕💞💞💞
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    अञ्जनी लाल ओझा
    25 नोव्हेंबर 2022
    अक्सर पुरुषों को एक खुमारी चढ़ी होती है! चढ़ी क्या होती है बचपन से पाल दी जाती है। उनके पास पत्नी से श्रेष्ठ होने का तमगा है। और इस बीज को समाज एक विशालकाय वृक्ष में बदल देता है। वर्ण( रंग) भेद एक पुरानी समस्या है! इस समस्या को आधार बनाकर एक बेहतर कथानक वाली कहानी है। परिणति को भविष्य की सु संभाव्यताओं के साथ रोचक बनाया है। आपके द्वारा लिखी और मेरे द्वारा पड़ी अच्छी रचनाओं में से एक।,,
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    06 जानेवारी 2023
    बहुत खूब 😊🙏 "अनसुलझा वक़्त " रचना को अवश्य पढ़ें 😊😊 https://pratilipi.page.link/ycvFBufqzAmmhgK48 😊😊
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    18 ऑक्टोबर 2022
    बढ़िया प्रस्तुति आपकी 💕💞💞💞